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Board Of Ayurvedic and Unani Tibbi Systems Of Medicines, Uttar Pradesh / About Us

आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति बोर्ड, उत्तर प्रदेश

आयुर्वेद तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धतियों के विकास की व्यवस्था करने तथा उनके व्यवसाय को विनियमित करने हेतु सन् 1925 में स्व0 जस्टिस गोकरन नाथ मिश्र की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी थी जिसकी संस्तुति के आधार पर सन् 1926 में भारतीय चिकित्सा बोर्ड की स्थापना कर भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के विकास के लिए उपाय तथा साधन प्रस्तुत करने वैद्यों / हकीमों का रजिस्ट्रेशन करने भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के अध्ययन व अभ्यास के सम्बंध में नियंत्रण करने का कार्यभार सौंपा गया। इस बोर्ड के प्रथम अध्यक्ष पं0 गोकरन नाथ मिश्र, चीफ जस्टिस (अवध) एवं सन् 1929 मे इस बोर्ड के अध्यक्ष जस्टिस सर सैय्यद वजीर हसन हुए जो सन् 1946 तक इस पद पर कार्यरत रहे।

यू0 पी0 इण्डियन मेडिसिन एक्ट 1939 दिनांक 1 अक्टूबर 1946 से लागू किया गया इस एक्ट के आधार पर बोर्ड के प्रथम चुनाव हुए एवं 1 मार्च 1947 को प्रथम बोर्ड गठित हुआ । इस बोर्ड के अध्यक्ष श्री आर0 बी0 धुलेकर शासन द्वारा मनोनीत किये गये। 1950 में द्वितीय चुनाव होने पर श्री कमला पति त्रिपाठी परिषद के अध्यक्ष हुए। श्री त्रिपाठी जी के त्याग पत्र देने पर श्री दरबारी लाल शर्मा परिषद के अध्यक्ष नामित हुए जो 18 वर्षों तक इस पद पर कार्य करते रहे। इस अवधि में परिषद में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए।

1956 में फैकल्टी की स्थापना हुई इसका कार्य सम्बद्ध शिक्षा संस्थाओं मे निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षा/परीक्षा की व्यवस्था करना निर्धारित किया गया। मार्च 1969 में श्री शर्मा जी के निधन के पश्चात् डा0 विश्वनाथ द्विवेदी परिषद के अध्यक्ष मनोनीत हुए। 1969 में परिषद का चुनाव होने पर नवीन परिषद गठित हुई जिसके अध्यक्ष श्री जगदीश्वर दयाल अग्निहोत्री, विधायक मनोनीत हुए। वर्ष 1975 में यू0पी0 इण्डियन मेडिसिन एक्ट 1939 में संशोधन कर डिग्री पाठ्यक्रम वि0वि0 को स्थानांतरित कर दिया गया तथा पैरामेडिकल कोर्स संचालित करने का अधिकार बोर्ड को दिया गया। कतिपय कारणों से वर्ष 1972 से वर्ष 2010 तक बोर्ड का विधिवत गठन नही हुआ। वर्ष 2011 में बोर्ड के चुनाव हुए तथा बोर्ड का विधिवत गठन हुआ।